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अगर आप सावन के महीने में हर दिन ये खास शब्द कहते हैं तो इससे आपकी परेशानियां दूर हो सकती हैं और आप बेहतर महसूस कर सकते हैं।



सावन के महीने में कुछ लोगों का मानना ​​है कि अगर वे भगवान शिव से प्रार्थना करेंगे तो उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी। उनका यह भी मानना ​​है कि वे जो चाहते हैं उसके आधार पर उन्हें पुरस्कार मिलेगा। इसीलिए लोग बड़े प्रेम और समर्पण के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव की प्रतिमा पर जल चढ़ाने से भी वे प्रसन्न हो सकते हैं।

सावन हिंदू देवता महादेव के लिए एक विशेष महीना है, जो बहुत महत्वपूर्ण है। इस महीने में लोग हर दिन महादेव और उनकी पत्नी माता पार्वती की पूजा करते हैं। सोमवार के दिन लोग भगवान शिव के प्रति अपना प्रेम दर्शाने के लिए व्रत भी रखते हैं। उनका मानना ​​है कि अगर वे सावन के दौरान भगवान शिव की पूजा करेंगे तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। उनका यह भी मानना ​​है कि उनकी प्रार्थनाओं के बदले में उन्हें अच्छी चीज़ें मिलेंगी। इसलिए लोग पूरे मन से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। पवित्र ग्रंथों में लिखा है कि भगवान शिव की मूर्ति पर जल चढ़ाने का एक साधारण अनुष्ठान भी उन्हें प्रसन्न कर सकता है। इसलिए, सावन के दौरान, लोग प्रतिदिन भगवान शिव की प्रतिमा पर गंगा नदी से जल चढ़ाते हैं। वे बेहतर महसूस करने और अपनी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए विशेष प्रार्थनाएँ भी करते हैं। आइए उन प्रार्थनाओं में से एक को एक साथ जपें-


भगवान शिव के मंत्र

शिव मूल मंत्र

ॐ नमः शिवाय॥

रूद्र मंत्र

ॐ नमो भगवते रूद्राय ।

रूद्र गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय

धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

शिव प्रार्थना मंत्र

करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।

विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

शिव नमस्कार मंत्र

शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।

ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

श‍िव नामावली मंत्र

श्री शिवाय नम:

श्री शंकराय नम:

श्री महेश्वराय नम:

श्री सांबसदाशिवाय नम:

श्री रुद्राय नम:

ॐ पार्वतीपतये नम:

ॐ नमो नीलकण्ठाय नम:

शिव आवाहन मंत्र

ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।

तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।

वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।

नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।

आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।

नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।

देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।

नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।

नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।

अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।

नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।

सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।

शिव स्तुति मंत्र

ॐ नमो हिरण्यबाहवे हिरण्यवर्णाय हिरण्यरूपाय हिरण्यपतए

अंबिका पतए उमा पतए पशूपतए नमो नमः

ईशान सर्वविद्यानाम् ईश्वर सर्व भूतानाम्

ब्रह्मादीपते ब्रह्मनोदिपते ब्रह्मा शिवो अस्तु सदा शिवोहम

तत्पुरुषाय विद्महे वागविशुद्धाय धिमहे तन्नो शिव प्रचोदयात्

महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धिमहे तन्नों शिव प्रचोदयात्

नमस्ते अस्तु भगवान विश्वेश्वराय महादेवाय त्र्यंबकाय त्रिपुरान्तकाय त्रिकाग्नी कालाय कालाग्नी

रुद्राय नीलकंठाय मृत्युंजयाय सर्वेश्वराय सदशिवाय श्रीमान महादेवाय नमः


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