Sawan Ke Somvar Vrat Vidhi 2023 | सावन के महीने में सोमवार का व्रत कैसे करें
Sawan Ke Somvar Vrat Vidhi 2023: इस दिन सावन के पहले सोमवार पड़ेगा, व्रत के दौरान खाएं यह एक चीज़, दिन भर आपको एनर्जी मिलेगी।
सावन के महीने में सोमवार का व्रत कैसे करें(Sawan Ke Somvar Vrat Vidhi 2023)
सावन सोमवार 2023 (Sawan Somvar 2023):
सावन मास का आगमन हो रहा है, जो पूरे माह भगवान शिव को समर्पित होता है। यहां तक कि सावन के समय में भोलेनाथ की पूजा पूरे माह में ही की जाती है, लेकिन विशेष रूप से सोमवार को भगवान शिव शंकर के लिए व्रत रखा जाता है और उनकी पूजा विधि-विधान से की जाती है। इस बार सावन का महीना बहुत विशेष है, क्योंकि इस बार सावन की अवधि 30 दिनों की बजाय 59 दिनों की है। 4 जुलाई से सावन की शुरुआत हो रही है और पहला सोमवार 10 जुलाई को पड़ेगा। इस साल सावन मास के दौरान आठ सोमवार होंगे। चलिए जानते हैं कि सावन के इन आठ सोमवारों की तारीखें क्या हैं और इस दिन पूजा कैसे की जानी चाहिए और आहार संबंधित नियम क्या हैं।
सावन के सोमवार के व्रत में शाम के समय भगवान शिव को अक्षत, सफेद फूल, चंदन, भांग, धतूरा, गाय के दूध, धूप, दीप, पंचामृत, सुपारी, और बेलपत्र आदि चढ़ाकर उनकी पूजा करें। उसके बाद भोले नाथ को पंचामृत से अभिषेक करें और साथ ही 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें। इसके साथ ही मां पार्वती और गणेश जी की भी पूजा करें।
सावन सोमवार व्रत में अनाज या नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। आप फल के साथ दूसरे फलाहार मानी जानी वाली चीजें खा सकते हैं। दूध-दही और उससे बनी चीजें खाई जा सकती हैं। फलों के साथ ड्राई फ्रूट्स खा सकते हैं। किसी भी तरह का अनाज या लहसुन-प्याज जैसी चीजें न खाएं। मांस-मदिरा से दूर रहें और खुद के लिए सात्विक फलाहार बनाएं।
सोमवार के व्रत में आप एनर्जी बनाए रखना चाहते हैं तो मखाना और दूध के साथ खीर बना सकते हैं। इसे बनाने के लिए दूध को अच्छे से उबालें और उसमें मखाने को रोस्ट कर लें, फिर दूध में मिलाएं और पकाएं। चीनी, इलायची पाउडर, और ड्राई फ्रूट्स डालें। इसे फ्रिज में ठंडा कर लें और फिर इसे फलाहार के रूप में खाएं।
सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। फिर शिव मंदिर में जाएं और शिवलिंग को जल से अभिषेक करें। जलाभिषेक के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना करें और व्रत कथा अवश्य सुनें। सोमवार के व्रत में एक ही समय में भोजन करें।
यदि आप सावन सोमवार का व्रत मान रहे हैं, तो स्नान करें और साफ-सुथरा वस्त्र पहनें। फिर आस-पास के शिव मंदिर में जाएं। भगवान शिव को अक्षत, सफेद फूल, चंदन, भांग, धतूरा, गाय के दूध, धूप, दीप, पंचामृत, सुपारी और बेलपत्र समर्पित करें। इसके बाद भगवान के पंचामृत से रुद्राभिषेक करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें।
दोपहर में या शाम के नाश्ते में भूख लगने पर आप सेब, केले, अनार, तरबूज, खीरा या आम जैसे फलों का सेवन कर सकते हैं। ये फल शरीर में पानी की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं। आप ड्राई फ्रूट्स भी खा सकते हैं। हालांकि, व्रत में खट्टी चीजों का सेवन वर्जित माना जाता है।
सोमवार के व्रत की विधि क्या है?
सोमवार का व्रत निर्जला नहीं होता है। इसलिए सुबह स्नानादि के बाद शिव जी और मां पार्वती की पूजा करने के बाद आप इस व्रत को खोल सकते हैं। कुछ लोग पूरा दिनभर व्रत रखकर सुबह और शाम दोनों की पूजा के बाद ही भोजन करते हैं। मान्यता है कि सुबह और शाम को पूजा करने के बाद ही सावन सोमवार व्रत का पारण उत्तम माना जाता है।
व्रतों में क्षमा, सत्य, दया, दान, शौच, इन्द्रिय संयम, देवपूजा, अग्निहोत्र, संतोष और चोरी न करने- ये 10 नियम आवश्यक माने जाते हैं।
ऐसे करें सावन सोमवार का व्रत, पढ़ें सरल विधि
सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं: साधारण सोमवार व्रत, सोलह सोमवार व्रत और सौम्य प्रदोष व्रत। सोमवार व्रत की विधि सभी व्रतों में समान होती है। इस व्रत को सावन माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है।
सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ होता है और तीसरे पहर तक चलता है। शिव पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुनना आवश्यक होती है। व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
सावन सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें। घर के सभी कमरों की सफाई करें और स्नानादि कार्यों से पूरी तरह निवृत्त हो जाएं।गंगा जल या पवित्र जल को पूरे घर में छिड़कें।घर के किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पूजा की संपूर्ण तैयारी के बाद, निम्नलिखित मंत्र से संकल्प लें: "सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं: साधारण सोमवार व्रत, सोलह सोमवार व्रत और सौम्य प्रदोष व्रत। इस व्रत को सावन माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है।"
'मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये'
इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें-
'ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥
शिवजी का और पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन 'ॐ नमः शिवाय' और 'ॐ शिवायै' नमः मंत्रों से करें।
1.पूजन के बाद व्रत कथा को सुनें।
2.आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
3. इसके बाद भोजन या फलाहार का आनंद लें।
सावन सोमवार व्रत फल
सोमवार व्रत नियमित रूप से करने पर भगवान शिव तथा देवी पार्वती की अनुकम्पा बनी रहती है।
जीवन धन-धान्य से भर जाता है।
भगवान शिव सभी अनिष्टों का हरण कर भक्तों के कष्ट दूर करते हैं।
इस बार सावन के 8 सोमवार को भोलेनाथ की उपासना के लिए मिलेंगे, इसमें क्या विशेषता है? जानें कि यह अद्भुत संयोग क्यों बन रहा है।
वास्तविकता में, वैदिक पंचांग की गणना सौर मास और चंद्र मास के आधार पर की जाती है। चंद्र मास 354 दिनों का होता है, जबकि सौर मास 365 दिन का होता है। इन दोनों मासों में लगभग 11 दिनों का अंतर होता है और तीसरे साल यह अंतर 33 दिन का हो जाता है, जिसे हम अधिक मास कहते हैं। इसलिए इस बार सावन मास दो महीनों तक रहेगा।
सावन 2023 की शुरुआत
वास्तविकता में, इस बार सावन महीना करीब 2 महीने का होने वाला है। इसकी शुरुआत 4 जुलाई 2023 से हो रही है और 31 अगस्त 2023 को इसका समापन होगा। इसका मतलब है कि भक्तों को इस बार भगवान शिव की उपासना के लिए करीब 59 दिन मिलेंगे।
सावन सोमवार के दिन, सुबह स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अपने दाहिने हाथ में जल लेकर सावन सोमवार व्रत का संकल्प लें। सभी देवताओं के लिए गंगा जल चढ़ाएं। 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव शंकर का जलाभिषेक करें। भोलेनाथ को अक्षत, सफेद फूल, सफेद चंदन, भांग, धतूरा, गाय का दूध, धूप, पंचामृत, सुपारी, बेलपत्र चढ़ाएं। सामग्री चढ़ाते समय 'ॐ नमः शिवाय, शिवाय नमः' का जाप करें और चंदन का तिलक लगाएं। सावन के सोमवार के व्रत के दिन सोमवार के व्रत की कथा अवश्य पढ़ें और अंत में आरती करें। भगवान शिव को प्रसाद के रूप में घी और चीनी का भोग लगाएं।
शिव चालीसा का पाठ करने के लिए ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद साफ कपड़े पहनकर पूर्व दिशा में अपना मुख कर बैठ जाएं। पाठ शुरू करने से पहले घी का दीपक जलाएं। उसके बाद तांबे के लोटे में गंगाजल मिलाकर रखें। शिव चालीसा का पाठ शुरू करने से पहले श्री गणेश के श्लोक का जाप करें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ शुरू करें।
Disclaimer: यहां प्रदान की गई जानकारी और मान्यताएं केवल मान्यताओं और ज्ञान पर आधारित हैं। सहित्य प्रवाह किसी भी तरह की मान्यता या ज्ञान की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना अत्यधिक आवश्यक है।
सावन सोमवार व्रत में कैसे करें पूजा
(Sawan Ke Somvar Vrat Vidhi 2023)
सावन के सोमवार के व्रत में शाम के समय भगवान शिव को अक्षत, सफेद फूल, चंदन, भांग, धतूरा, गाय के दूध, धूप, दीप, पंचामृत, सुपारी, और बेलपत्र आदि चढ़ाकर उनकी पूजा करें। उसके बाद भोले नाथ को पंचामृत से अभिषेक करें और साथ ही 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें। इसके साथ ही मां पार्वती और गणेश जी की भी पूजा करें।
आहार से जुड़े नियम
सावन सोमवार व्रत में अनाज या नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। आप फल के साथ दूसरे फलाहार मानी जानी वाली चीजें खा सकते हैं। दूध-दही और उससे बनी चीजें खाई जा सकती हैं। फलों के साथ ड्राई फ्रूट्स खा सकते हैं। किसी भी तरह का अनाज या लहसुन-प्याज जैसी चीजें न खाएं। मांस-मदिरा से दूर रहें और खुद के लिए सात्विक फलाहार बनाएं।
मखाने की खीर रेसिपी
सोमवार के व्रत में आप एनर्जी बनाए रखना चाहते हैं तो मखाना और दूध के साथ खीर बना सकते हैं। इसे बनाने के लिए दूध को अच्छे से उबालें और उसमें मखाने को रोस्ट कर लें, फिर दूध में मिलाएं और पकाएं। चीनी, इलायची पाउडर, और ड्राई फ्रूट्स डालें। इसे फ्रिज में ठंडा कर लें और फिर इसे फलाहार के रूप में खाएं।
सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। फिर शिव मंदिर में जाएं और शिवलिंग को जल से अभिषेक करें। जलाभिषेक के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना करें और व्रत कथा अवश्य सुनें। सोमवार के व्रत में एक ही समय में भोजन करें।
सावन के सोमवार का व्रत कैसे किया जाता है?
यदि आप सावन सोमवार का व्रत मान रहे हैं, तो स्नान करें और साफ-सुथरा वस्त्र पहनें। फिर आस-पास के शिव मंदिर में जाएं। भगवान शिव को अक्षत, सफेद फूल, चंदन, भांग, धतूरा, गाय के दूध, धूप, दीप, पंचामृत, सुपारी और बेलपत्र समर्पित करें। इसके बाद भगवान के पंचामृत से रुद्राभिषेक करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें।
सावन सोमवार व्रत शाम को क्या खाना चाहिए?
दोपहर में या शाम के नाश्ते में भूख लगने पर आप सेब, केले, अनार, तरबूज, खीरा या आम जैसे फलों का सेवन कर सकते हैं। ये फल शरीर में पानी की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं। आप ड्राई फ्रूट्स भी खा सकते हैं। हालांकि, व्रत में खट्टी चीजों का सेवन वर्जित माना जाता है।
सोमवार के व्रत की विधि क्या है?
उपवास खोलने का समय क्या है?
सोमवार का व्रत निर्जला नहीं होता है। इसलिए सुबह स्नानादि के बाद शिव जी और मां पार्वती की पूजा करने के बाद आप इस व्रत को खोल सकते हैं। कुछ लोग पूरा दिनभर व्रत रखकर सुबह और शाम दोनों की पूजा के बाद ही भोजन करते हैं। मान्यता है कि सुबह और शाम को पूजा करने के बाद ही सावन सोमवार व्रत का पारण उत्तम माना जाता है।
व्रत के नियम क्या है?
व्रतों में क्षमा, सत्य, दया, दान, शौच, इन्द्रिय संयम, देवपूजा, अग्निहोत्र, संतोष और चोरी न करने- ये 10 नियम आवश्यक माने जाते हैं।
ऐसे करें सावन सोमवार का व्रत, पढ़ें सरल विधि
सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं: साधारण सोमवार व्रत, सोलह सोमवार व्रत और सौम्य प्रदोष व्रत। सोमवार व्रत की विधि सभी व्रतों में समान होती है। इस व्रत को सावन माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है।
सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ होता है और तीसरे पहर तक चलता है। शिव पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुनना आवश्यक होती है। व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
सावन सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें। घर के सभी कमरों की सफाई करें और स्नानादि कार्यों से पूरी तरह निवृत्त हो जाएं।गंगा जल या पवित्र जल को पूरे घर में छिड़कें।घर के किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पूजा की संपूर्ण तैयारी के बाद, निम्नलिखित मंत्र से संकल्प लें: "सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं: साधारण सोमवार व्रत, सोलह सोमवार व्रत और सौम्य प्रदोष व्रत। इस व्रत को सावन माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है।"
'मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये'
इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें-
'ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥
शिवजी का और पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन 'ॐ नमः शिवाय' और 'ॐ शिवायै' नमः मंत्रों से करें।
1.पूजन के बाद व्रत कथा को सुनें।
2.आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
3. इसके बाद भोजन या फलाहार का आनंद लें।
सावन सोमवार व्रत फल
सोमवार व्रत नियमित रूप से करने पर भगवान शिव तथा देवी पार्वती की अनुकम्पा बनी रहती है।
जीवन धन-धान्य से भर जाता है।
भगवान शिव सभी अनिष्टों का हरण कर भक्तों के कष्ट दूर करते हैं।
इस बार सावन के 8 सोमवार को भोलेनाथ की उपासना के लिए मिलेंगे, इसमें क्या विशेषता है? जानें कि यह अद्भुत संयोग क्यों बन रहा है।
Sawan Ka Somwar Kitne Hai
हिंदू धर्म में, सावन माह को भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस पूरे माह में, शिवजी की पूजा को विधि-विधान के साथ आचरण किया जाता है। इस बार, सावन माह को विशेष माना जा रहा है क्योंकि यह साल में सावन माह एक ही बजाय दो माह का होने वाला है। ऐसा माना जाता है कि यह अद्भुत संयोग लगभग 19 साल बाद बन रहा है। यह सब इसलिए है क्योंकि हिंदी विक्रम संवत 2080 में इस साल एक अधिकमास (एक अतिरिक्त माह) है। इसलिए इस साल कुल 13 माह होंगे बजाये 12 महीनों के। साथ ही, सावन माह इस बार लगभग 59 दिनों का होने वाला है, न कि आमतौर पर 30 दिनों का। इसका मतलब है कि भोलेनाथ के भक्तों को इस बार 4 के बजाये 8 सोमवार मिलेंगे उनकी उपासना करने के लिए। चलिए, अब हम जानते हैं सावन माह में बनने वाले शुभ संयोगों के बारे में...क्यों बन रहा अद्भुत संयोग ?
वास्तविकता में, वैदिक पंचांग की गणना सौर मास और चंद्र मास के आधार पर की जाती है। चंद्र मास 354 दिनों का होता है, जबकि सौर मास 365 दिन का होता है। इन दोनों मासों में लगभग 11 दिनों का अंतर होता है और तीसरे साल यह अंतर 33 दिन का हो जाता है, जिसे हम अधिक मास कहते हैं। इसलिए इस बार सावन मास दो महीनों तक रहेगा।
सावन 2023 की शुरुआत
वास्तविकता में, इस बार सावन महीना करीब 2 महीने का होने वाला है। इसकी शुरुआत 4 जुलाई 2023 से हो रही है और 31 अगस्त 2023 को इसका समापन होगा। इसका मतलब है कि भक्तों को इस बार भगवान शिव की उपासना के लिए करीब 59 दिन मिलेंगे।
सावन सोमवार पूजा विधि
सावन सोमवार के दिन, सुबह स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अपने दाहिने हाथ में जल लेकर सावन सोमवार व्रत का संकल्प लें। सभी देवताओं के लिए गंगा जल चढ़ाएं। 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव शंकर का जलाभिषेक करें। भोलेनाथ को अक्षत, सफेद फूल, सफेद चंदन, भांग, धतूरा, गाय का दूध, धूप, पंचामृत, सुपारी, बेलपत्र चढ़ाएं। सामग्री चढ़ाते समय 'ॐ नमः शिवाय, शिवाय नमः' का जाप करें और चंदन का तिलक लगाएं। सावन के सोमवार के व्रत के दिन सोमवार के व्रत की कथा अवश्य पढ़ें और अंत में आरती करें। भगवान शिव को प्रसाद के रूप में घी और चीनी का भोग लगाएं।
शिव चालीसा का पाठ करने के नियम
शिव चालीसा का पाठ करने के लिए ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद साफ कपड़े पहनकर पूर्व दिशा में अपना मुख कर बैठ जाएं। पाठ शुरू करने से पहले घी का दीपक जलाएं। उसके बाद तांबे के लोटे में गंगाजल मिलाकर रखें। शिव चालीसा का पाठ शुरू करने से पहले श्री गणेश के श्लोक का जाप करें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ शुरू करें।
Disclaimer: यहां प्रदान की गई जानकारी और मान्यताएं केवल मान्यताओं और ज्ञान पर आधारित हैं। सहित्य प्रवाह किसी भी तरह की मान्यता या ज्ञान की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना अत्यधिक आवश्यक है।